पिछले माह 25 जून, 2023 को मशहूर अमेरिकी वैज्ञानिक और आविष्कारक John Bennister Goodenough का निधन हो गया। इनको लिथियम-आयन बैटरी के सह-खेाजकर्ता के रूप में जाना जाता था। John Bennister Goodenough का जन्म 1922 में जर्मनी के जेना नामक स्थान में हुआ था। उनके माता-पिता अमेरिकी थे। इनका बचपन अच्छा नही रहा था। इनके माता-पिता के आपस संबंध अच्छे न थे और उनका तलाक हो गया था। इस माहौल में डिस्लेक्सिया से जूझते हुए बडे हुए। येल यूनिवर्सिटी में गणित की पढाई करने के बाद, उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना में भर्ती होकर एक मौसम विज्ञानी के रूप में अपनी सेवाएं की। इसके बाद उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी में पढाई करते हुए 1952 में फिजिक्स में पीएच.डी. की डिग्री ली।
डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद John Bennister Goodenough ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में काम किया। है।मेग्नेटिज्म के क्षैत्र में काम करते हुए गुडइनफ ने 1950 के दशक में जुनजिरो कानामोरी के साथ गुडइनफ-कानामोरी नियम Goodenogh-Kanamori Rules दिये।
1970 के दशक के आखिर में, स्टेनली व्हिटिंगम नामक एक ब्रिटिश-अमेरिकी वैज्ञानिक ने अपनी एक खेाज में पाया कि लिथियम मेटल में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की बहुत अच्छी क्षमता है। इस गुण के कारण उन्होने लिथियम को टाईटेनियम सल्फाईड नाम के पदार्थ के साथ मिला कर बैटरी के लिए एनोड बनाने के लिये प्रयोग करना प्रारम्भ किया। लेकिन इस प्रयोग में लिथियम मेटल द्वारा बार-बार आग पकड लेने की गंभीर समस्या के कारण एनोड बनाने में सफलता नही मिल पा रही थी।
John Bennister Goodenough उस समय इसी लिथियम मेटल के ऑक्साईड पर रिसर्च कर रहे थे। जॉन बैनिस्टर गुडइनफ ने इसके हल के लिये सुझाव दिया कि अगर एनोड बनाने की इस प्रक्रिया में यदि कोबाल्ट मेटल के ऑक्साइड का भी उपयोग किया जाए तो प्रयोग में आग लगने की समस्या नही होगी और कोबाल्ट मेटल के ऑक्साइड पर आधारित कैथेड का यूज किया जाए तोे एक पावरफुल सेल बनाया जा सकता है।
इसी प्रक्रिया से 1980 के दशक में जो बैटरी बनाई गयी उसे पहली लिथियम-आयन बैटरी माना जाता है। इस खेाज की सफलता ने पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स को संचालित करने के तरीके में क्रांति ला दी।बाद में John Bennister Goodenough ने लीथियम-आयन रिचार्जेबल बैटरी के साथ ही लीथियम-आयन मेगनीज ऑक्साईड बैटरी, लीथियम-आयन आयरन फॉस्फेट बैटरी, ग्लास बैटरी की भी खेाज की।
John Bennister Goodenough को एम. स्टेनली व्हिटिंगम और अकीरा योशिनो के साथ लिथियम-आयन बैटरी पर काम के लिये 2019 में केमेस्ट्री का नोबेल प्राईज भी मिला। उस समय गुडइनफ केमेंस्ट्री में नोबल प्राईज जीतने वाले सबसे बुजुर्ग आदमी थे। नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद भी गुडइनफ़ रिसर्च जारी रखतेे हुए नई प्रकार की बैटरियां विकसित करने पर काम करते रहे जिनका यूज इलेक्ट्रिक कारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीजों में किया जा सकता था।गुडइनफ ने कंप्यूटर के लिए रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी मृत्यु तक सक्रिय जीवन व्यतीत किया।
John Bennister Goodenough ने 2008 में, अपनी बायोग्राफी विटनेस टू ग्रेस लिखी, जिसे उन्होंने ‘ मेरा व्यक्तिगत इतिहास’ कहा। इस बायोग्राफी में विज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिकता का भी पुट था। इन्होने अपने सब्जेक्ट पर भी कई किताबें लिखीं। जॉन गुडइनफ एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे। लिथियम-आयन बैटरी पर उनके काम का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है और कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास संभव हुआ है। वह हम सभी के लिए एक प्रेरणा हैं और उनकी विरासत आने वाले कई वर्षों तक जीवित रहेगी।