भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 20 जुलाई 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या न हो) की निर्यात नीति को मुक्त से निषिद्ध में संशोधित किया गया है। इससे गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात प्रतिबंधित हो गया है। खबरों के अनुसार Export Ban on Non Basmati Rice का उद्देश्य भारत में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखना और घरेलू बाजार में खाद्य कीमतों को कम करना है। भारत चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ 40ः से अधिक की हिस्सेदारी के साथ दुनिया के प्रमुख चावल निर्यातकों मे से एक है।
Export Ban on Non Basmati Rice के पूर्व गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की स्थिति।
देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में लगभग 25 प्रतिशत गैर-बासमती चावल होता है। वाणिज्यिक आसूचना एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2020-21 में 4799 मिलियन डॉलर और वर्ष 2021-22 में 6115 मिलियन US डॉलर मूल्य के गैर-बासमती चावल का निर्यात किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में गैर बासमती चावल का निर्यात सभी कृषि वस्तुओं के बीच सबसे अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला क्षेत्र रहा है। अगर पिछले पांच वर्षों के गैर-बासमती चावल के निर्यात को देखा जाए तो पिछले दो सालों में इसमें बहुत अच्छी वृद्वि हुई है जैसा कि चार्ट से पता लगता है,
Source: DGCIS
भारत से गैर बासमती चावल के प्रमुख आयातक देशों में पश्चिमी अफ्रीकी देश बेनिन , नेपाल, बांग्लादेश, चीन, टोगो, सेनेगल, गिनी, वियतनाम, जिबोटी, मेडागास्कर, कैमरून, सोमालिया, मलेशिया, लाइबेरिया, आदि प्रमुख हैं।
पिछले दो वर्षों में भारत के जहाजरानी क्षैत्र के बुनियादी ढांचे को विकसित करने तथा चावल निर्यात के लिए नए बाजारों को तलाशने के लिए प्रयासों के कारण चावल के निर्यात में भारी बढोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में, भारत ने नौ नए देशों- तिमोर-लेस्टे, प्यूर्टा-रिको, ब्राजील, पापुआ न्यू गिनी, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, एस्वाटिनी, म्यांमार तथा निकारागुआ को गैर बासमती चावल का निर्यात किया। भारत में चावल की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तथा हरियाणा में की जाती है।
Export Ban on Non Basmati Rice के कारण।
Export Ban on Non Basmati Rice के मुख्य कारणों में विश्व का भू-राजनीतिक परिदृश्य जिसमें रूस-यूक्रेन समस्या, अल नीनो प्रभाव के कारण अन्य चावल उत्पादक देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादन में कमी से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्वि आदि हैं। इन तथ्यों को देखते हुए सरकार ने देश के आगामी त्योहारी सीजन के लिये पर्याप्त स्टॉक और कम कीमतें सुनिश्चित करने के लिए Export Ban on Non Basmati Rice का कदम उठाया। एक कारण यह भी हो सकता है कि नवम्बर-दिसम्बर 2023 में एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे बडे राज्यों में विधानसभा चुनाव होना हैं और उसके कुछ माह बाद 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना हैं जिनमें खाद्यान्नों की बढी कीमतें और मंहगाई मुख्य मुद्दे बन सकते हैं।
भारत में भी अनियमित मौसम की स्थिति भी एक Export Ban on Non Basmati Rice का महत्वपूर्ण कारण है। मानसून देर से आने के कारण जून के मध्य तक बारिश की कमी रही, जून के आखिरी सप्ताह से भारी बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है, मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में। पंजाब में धान की खेती का 2.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है और हरियाणा में भी सात जिलों की 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर फैली धान की फसल डूब गई है. यह अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि दोनों राज्य मिलकर देश के कुल चावल उत्पादन में लगभग 20% का योगदान करते हैं। अन्य प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में, किसान अपर्याप्त वर्षा के कारण धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं। धान का एमएसपी बढ़ाने के बाद सरकार को उम्मीद थी कि चावल की खेती का रकबा बढ़ेगा, लेकिन किसानों ने अब तक 2022 की तुलना में 60% कम रकबे पर धान लगाया है।
Export Ban on Non Basmati Rice के कदम का भारत तथा दुनिया पर क्या प्रभाव होगा।
14 जुलाई को रूस द्वारा काला सागर अनाज डील से हट जाने के कारण इस सप्ताह गेहूं की कीमतों में उछाल आया। समझौते में यूक्रेन को निर्यात जारी रखने की अनुमति देकर वैश्विक खाद्य संकट को रोकने की मांग की गई थी।इससे विश्व में गेंहू की कमी होने का डर तो था ही अब भारत द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से दुनिया में चावल की कमी और कीमतों में तेजी का भी डर पैदा हो गया है।
विश्व की करीब 3 अरब से अधिक की आबादी का मुख्य भोजन चावल है। इसके साथ ही दुनिया की लगभग 90% जल-गहन फसल एशिया में पैदा होती है, जहां अल नीनो इफेक्ट के कारण वर्षा कम हो रही है। इन परिस्थितियों में भारतीय चावल के प्रमुख खरीददार अफ्रीकी देश बांग्लादेश और नेपाल तो इस प्रतिबंध से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे ही साथ ही विश्व में खद्यान्न संकट जेसी स्थिति भी निर्मित होने की आशंका होगी।
यदि भारत की बात की जाये तो गैर बासमती चावल सभी कृषि वस्तुओं में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा ला रहा था। Export Ban on Non Basmati Rice से उसमें कमी आएगी। साथ ही इस प्रतिबंध से प्रभावित होने वाले देश और आई.एम.एफ.जैसी संस्थाएं भी भारत पर अनावश्यक प्रेशर डाल सकती हैं।