Chandrayaan-3
Image Credits-ISRO

आज दोपहर 2-35 बजे दक्षिण भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च रॉकेट LMV3-M4  3,900 किलोग्राम या 3.9 टन वजनी अंतरिक्ष यान Chandrayaan-3 को सफलता-पूर्वक लेकर अंतरिक्ष में रवाना हो गया । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के LVM3 M4 कोडनेम वाले इस मिशन में एक लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतर कर सतह पर घूमना और साइट पर वैज्ञानिक प्रयोग करना है।

Chandrayaan-3 अगस्त में चंदमा की कक्षा में पहुंचेगा और चंद्रमा की सतह पर सफल तरीके से लैंडिंग करने पर, भारत पूर्व सोवियत संघ, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप मिशन है जो सितंबर 2019 चंद्रमा पर लेंडिग करते समय नाकाम हो गया था। चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग साइट को “डार्क साइड ऑफ मून” कहा जाता है क्योंकि चंद्रमा का यह हिस्सा कभी पृथ्वी के सामने नहीं आता।

भारत का मिशन Chandrayaan क्या है।

मिशन चंद्रयान इसरो का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष-यान की लेंडिंग करवाना और उतरने के बाद वहां की सतह पर विभिन्न वेज्ञानिक शोध करना और सफलतापूर्वक वापस आना। अब तक दुनिया के केवल चार देश ही एसा करने में सफल रहे हैं। 15 अगस्त 2003 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण  में इसकी  इच्छा जताने के बाद से इसरो इसके लिये लंबे समय से तैयारी कर रहा है लेकिन दुर्भाग्य से इस काम के लिये भेजे गया मिशन चंद्रयान-2 असफल हो गया था। इस मिशन की असफलता का गहन परीक्षण कर इसरो ने इस बार पूरी तैयारी के साथ Chandrayaan-3 को भेजा है और हम सभी भारतीयों को आशा है इस बार मिशन सफल रहेगा।

मिशन Chandrayan-1

Chandrayan
Chandrayan-1 Module   Image Credits-Vikram Sarabhai Space Centre (GODL-India)

पहले Chandrayan मिशन में इसरो ने अक्टूबर 2008 में भारत के चंद्रयान-1 आर्बिटर को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और अपने साथ लाए 64-पाउंड (29 किलोग्राम) के इम्पैक्टर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जिसने चंद्रमा की सतह से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं (molecules) की खोज की थी।

मिशन Chandrayan-2

Chadrayan-3
Chandrayan-2 Module Image Credits-(GODL-India)

इसरो ने जुलाई 2019 में भारत का दूसरा चंद्र मिशन Chandrayan-2 लॉन्च किया जिसमें एक  ऑर्बिटर,एक लैंडर (जिसका नाम इसरो में विक्रम रख था)और एक रोवर शामिल थे। ऑर्बिटर सुरक्षित रूप से चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया और अपने साथ लायी लैंडर-रोवर की जोड़ी को चंद्रमा की सतह की और भेजा लेकिन यह जोडी ब्रेकिंग थ्रस्ट के सही काम न कर पाने के कारण चंद्रमा की सतह पर लैंड करने से पहले ही कुछ किमी की ऊंचाई पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी। चंद्रयान -2 का आर्बिटर आज भी अपने आठ वेज्ञनिक उपकरणों के साथ चंद्रमा का अध्ययन करना जारी रखे हुए है।

मिशन Chandrayaan-3

Chndrayaan-3
Image Credits-ISRO

Chandrayaan-3 में 2,148 किलोग्राम वजन का एक ऑर्बिटर या प्रोपल्शन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर  जिनका कुल वजन 1,752 किलोग्राम है,शामिल हैं। लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह चक्कों वाले रोवर में दो पेलोड हैं। इसरो ने लेंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया है।

इस बार चंद्रयान-2 मिशन की विफलता का गहन अध्ययन करने के बाद Chandrayaan-3 मिशन के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। इसरो के अनुसार इस मिशन में लैंडर में लेजर और आरएफ-आधारित अल्टीमीटर, वेलोमीटर, थ्रॉटलेबल तरल इंजन, खतरे का पता लगाने और उससे बचाव की प्रणाली और एक लैंडिंग लेग तंत्र जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल की गयी हैं ओेर साथ ही मिशन में एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है।

Chandrayaan-3 का प्रथम उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित उतारना रहेगा। उसके बाद, रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की रोवर पर लगाए गये लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप और अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर का मदद से तात्विक संरचना की जांच करेगा।

मिशन Chandrayaan-3 के अतिरिक्त भारत का अन्य महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपने अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत में इसरो और अंतरिक्ष तकनीक स्टार्टअप सहित सरकारी निकायों के बीच सहयोग को आसान बनाने के लिए अपनी अंतरिक्ष नीति भी बनाई गयी है।

मिशन Chandrayan के साथ-साथ, इसरो एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मिशन गगनयान पर भी काम कर रहा है, जिसमें  मानव सहित अंतरिक्ष यान को लगभग 250 मील की निचली-पृथ्वी कक्षा में ले जाने और वापस लाने का प्लान है। इस 1.8 बिलियन डॉलर की परियोजना के 2024 में पूरी होने की उम्मीद है। जून 2023 में भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण पर कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों के साथ सहयोग करने के लिए नासा के आर्टेमिस समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

 

2 thoughts on “Chandrayaan-3 सफलतापूर्वक लांच होकर मंजिल की ओर चल पडा।”

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